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Om jai jagdish hare aarti,ओम जय जगदीश हरे आरती : vishnu bhagwan ki aarti

 विष्णु भगवान: सर्वाधिष्ठान, सर्वशक्तिमान, और संसार के पालक 

आरती ॐ जय जगदीश हरे

Om jai jagdish hare aarti,ओम जय जगदीश हरे आरती : vishnu bhagwan ki aarti 


विष्णु भगवान, हिन्दू धर्म के त्रिमूर्ति में एक, सर्वाधिष्ठान, सर्वशक्तिमान, और संसार के पालक के रूप में पूजे जाते हैं। इस ब्लॉग में, हम विष्णु भगवान के अनुपम महत्व, रूप, और उनके साधकों के प्रति कृपा की चरित्रिक विशेषताओं को जानेंगे।विष्णु भगवान, ब्रह्मा और शिव के साथ त्रिमूर्ति का एक हिस्सा हैं, जो सृष्टि, स्थिति, और संहार का कारण हैं। उनका परिचय और महत्व सूर्य को दिया दिखाने जैसा है।

विष्णु भगवान के अनेक अद्भुत अवतारों को हम सब जानते है, जैसे कि राम, कृष्ण, नृसिंह, और वामन। हर अवतार की कथा और उनका संसार में समय समय पर योगदान हम सभी जानते है।

विष्णु भगवान के गुणगान में उनकी अनंत शक्तियों, कृपा, और सामर्थ्य का विशेष स्थान है,वही संसार का हर प्राणी उनकी कृपा चाहता है। उनके साधकों का उनके प्रति प्रेम और समर्पण देखते ही बनता है, विष्णु भगवान की दया, कृपा और करुणा की अनुभूति सभी भक्त समय समय पर स्वयं अनुभव करते है.

विष्णु भगवान के साधकों के प्रति उनकी कृपा की बेहद चरित्रिक विशेषताओं को समझें और जानें कैसे वे सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

विष्णु भगवान का अर्थात् "सर्वाधिष्ठान" और "सर्वशक्तिमान" होना, हमें यह याद दिलाता है कि उनका प्रत्येक रूप हमारे जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि का स्रोत है। इस परम पुरुष की पूजा से हम अपने जीवन को भगवन के प्रति समर्पित करके अनंत आनंद का अनुभव कर सकते हैं।आइए उनकी आरती करे

Vishnu Bhagwan Ji Aarti 

विष्णु भगवान जी की आरती 


ॐ जय जगदीश हरे,

स्वामी जय जगदीश हरे ।

भक्त जनों के संकट,

दास जनों के संकट,

क्षण में दूर करे ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥


जो ध्यावे फल पावे,

दुःख बिनसे मन का,

स्वामी दुःख बिनसे मन का ।

सुख सम्पति घर आवे,

सुख सम्पति घर आवे,

कष्ट मिटे तन का ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

*

मात पिता तुम मेरे,

शरण गहूं किसकी,

स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।

तुम बिन और न दूजा,

तुम बिन और न दूजा,

आस करूं मैं जिसकी ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

*

तुम पूरण परमात्मा,

तुम अन्तर्यामी,

स्वामी तुम अन्तर्यामी ।

पारब्रह्म परमेश्वर,

पारब्रह्म परमेश्वर,

तुम सब के स्वामी ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

*

तुम करुणा के सागर,

तुम पालनकर्ता,

स्वामी तुम पालनकर्ता ।

मैं मूरख फलकामी,

मैं सेवक तुम स्वामी,

कृपा करो भर्ता॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

*

तुम हो एक अगोचर,

सबके प्राणपति,

स्वामी सबके प्राणपति ।

किस विधि मिलूं दयामय,

किस विधि मिलूं दयामय,

तुमको मैं कुमति ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

*

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,

ठाकुर तुम मेरे,

स्वामी रक्षक तुम मेरे ।

अपने हाथ उठाओ,

अपने शरण लगाओ,

द्वार पड़ा तेरे ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

*

विषय-विकार मिटाओ,

पाप हरो देवा,

स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,

सन्तन की सेवा ॥

ॐ जय जगदीश हरे,

स्वामी जय जगदीश हरे ।

भक्त जनों के संकट,

दास जनों के संकट,

क्षण में दूर करे ॥

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