Krishna Ji ki Aarti Kunj Bihari Ki श्रीकृष्ण आरती कुंज बिहारी की गिरधर कृष्ण मुरारी की
श्री कृष्ण आरती:Aarti kunj bihari ki
Krishna Ji ki Aarti Kunj Bihari Ki श्रीकृष्ण आरती कुंज बिहारी की गिरधर कृष्ण मुरारी की
भगवान श्रीकृष्ण की आरती: अनन्य भक्ति और प्रेम का संगम
भगवान श्रीकृष्ण, भारतीय सांस्कृतिक धारा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रिय देवता हैं। उनकी आरती, भक्तों को उनके अद्वितीय स्वरूप, लीलाएं, और उनके साथ भक्ति में समर्पित होने का अवसर प्रदान करती है। हम श्रीकृष्ण की आरती के साथ उनके जीवन, उपदेश, और भक्तों के साथ उनकी आत्मीयता का अन्वेषण भी कर सके तो अत्यंत महत्वपूर्ण है।
श्रीकृष्ण को 'पूर्णावतार' कहा जाता है, जो विष्णु भगवान का एक अवतार हैं। उनके बाल लीलाएं, गोपियों के साथ रास लीला, और गीता के उपदेशों का संग्रह उनके दिव्य विग्रह को साकार करते हैं। इस ब्लॉग में, हम इन अद्वितीय पहलुओं की गहराईयों में जाएंगे।
भगवान कृष्ण की आरती, उनके प्रेम और भक्ति के प्रति भक्तों की आदर्श अभिव्यक्ति है। इस आरती में उनकी पूजा का एक विशेष तरीका है जो भक्तों को उनसे साकार और निराकार भक्ति के अद्वितीय अनुभूति में ले जाता है।
श्रीकृष्ण की आरती के प्रमुख श्लोकों की गहराईयों में जाना और उनका आर्थिक और आध्यात्मिक महत्व को समझना भी आवश्यक है.
कृष्ण भगवान की आरती में कुंजिका मंत्र का समाहार भी होता है, जो उनकी दिव्यता को प्राप्त करने का एक प्रमुख साधन है भगवान कृष्ण की आरती को नियमित रूप से करने से भक्तों को आत्मा के साथ आदर्श संबंध बनाए रखने में मदद मिलती है और उन्हें आनंद, शांति और दिव्य अद्वितीयता का अहसास होता है
हम आपको श्रीकृष्ण भगवान की आरती को सही रूप से आनंद और मस्ती के साथ शुद्ध अंतर्मन से करने की सलाह देंगे जिससे आप जीवन में उनसे प्रेरणा प्राप्त करें। इस आरती के माध्यम से, भक्त भगवान कृष्ण के साथ एक नया संबंध बनाते हैं और अपने जीवन में आनंद और प्रेरणा की ऊंचाइयों को छूते हैं।
श्री कृष्ण आरती भजन
Aarti Kunj Bihari Ki
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
गले में बैजंती माला
बजावै मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला
नंद के आनंद नंदलाला
गगन सम अंग कांति काली
राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक
कस्तूरी तिलक
चंद्र सी झलक
ललित छवि श्यामा प्यारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
*
कनकमय मोर मुकुट बिलसै
देवता दरसन को तरसैं
गगन सों सुमन रासि बरसै
बजे मुरचंग
मधुर मिरदंग
ग्वालिन संग
अतुल रति गोप कुमारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
*
जहां ते प्रकट भई गंगा
सकल मन हारिणि श्री गंगा
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस
जटा के बीच
हरै अघ कीच
चरन छवि श्रीबनवारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
*
चमकती उज्ज्वल तट रेनू
बज रही वृंदावन बेनू
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद
चांदनी चंद
कटत भव फंद
टेर सुन दीन दुखारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंजबिहारी की
बोलो बांके बिहारी लाल की जय !
श्री कृष्ण मुरारी की जय!!
श्री वृन्दावन बिहारी लाल की जय!!!
श्री राधेश्याम की जय!!!!
जय हो नंदलाला!!!!!
इति
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